लेखन मुझे मुक्त करता है।
सृजन के सुख से अभिभूत मैं स्वयं को एक नये संसार में पाता हूँ।
स्याह परछाइयाँ पीछे छूट चुकी होती हैं।
यह कल्पना लोक है जो जिंदगी में होना ही चाहिए। इसमें नयी खिड़कियां खुलती हैं
जिनसे रंग-बिरंगी तितलियाँ भीतर आती हैं और संग-साथ उड़ने की ललक जगाती हैं।
यह शब्दों से शब्दातीत होना है।
लेखन मुझे मुक्त करता है।
सृजन के सुख से अभिभूत मैं स्वयं को एक नये संसार में पाता हूँ।
स्याह परछाइयाँ पीछे छूट चुकी होती हैं।
यह कल्पना लोक है जो जिंदगी में होना ही चाहिए। इसमें नयी खिड़कियां खुलती हैं
जिनसे रंग-बिरंगी तितलियाँ भीतर आती हैं और संग-साथ उड़ने की ललक जगाती हैं।
यह शब्दों से शब्दातीत होना है।