प्रिय ओलिव
यह कृति इस सवाल का जवाब देती है कि एक विद्यार्थी में सीखने , याद रखने और उससे सम्प्रेषित करने की क्षमता विकसित करने वाली शिक्षा किसी होनी चाहिए ?
यह कृति इस सवाल का जवाब देती है कि एक विद्यार्थी में सीखने , याद रखने और उससे सम्प्रेषित करने की क्षमता विकसित करने वाली शिक्षा किसी होनी चाहिए ?
बाल उत्त्पीड़न की अंतःकथाएँ कहता यह उपन्यास उस बच्चे के बारे में आपको नए सिरे से सोचने के लिए बाध्य करता है , जिसके आप माता-पिता हैं अथवा अभिभावक
यह कृति इस सवाल का जवाब देती है कि एक विद्यार्थी में सीखने , याद रखने और उससे सम्प्रेषित करने की क्षमता विकसित करने वाली शिक्षा किसी होनी चाहिए ?
एक पुरुष जब अपनी पसंद की स्त्री को देखता है तो क्या उसकी गंध उसको खींचती,लुभाती और आत्मविभोर करती है और क्या यह सिर्फ सेक्स होता है या इससे आगे कुछ और भी है?
रामजी ने छठी क्लास की अपनी किताबों को देखा और पाया कि वह बेकार में ही फेल हुआ। खासकर सामाजिक विज्ञान की किताब तो बहुत ही रुचिकर थी। विज्ञान वाली ने तो उसे आश्चर्यचकित कर दिया। अंग्रेजी और गणित की किताबें अभी भी समझ से बाहर थीं लेकिन वह आश्वस्त था कि उनको भी समझ लेगा।
सन उन्नीस सौ इक्यावन में संतपुरिया बालिका विद्यापीठ, संतपुर के एन.सी.सी बैंड ने पहली बार दिल्ली की गणतंत्र दिवस की परेड में परफॉर्म किया था। इसके बाद साल-दर-साल उसका एक शानदार इतिहास बनता चला गया। किन्तु बासठ साल बाद, दौ हजार बारह में यह कहकर उसे परेड से बाहर कर दिया गया कि वह एक प्राइवेट स्कूल का बैंड है।
बहुत कम लोग जानते होंगे कि प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला ने आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों और राष्ट्रीय कांग्रेस के मध्य एक सेतु का काम किया था।
अपनी कविता के लिए सैनी एक खास दुनिया रचते हैं – राजा, रानी, राजकुमार, राजकुमारी और आम लोगों की दुनिया। इनके साथ जंगल, दरख्त, नदी और परिंदे भी हैं, जो जरुरत के मुताबिक कविता में जगह बनाते हैं।
श्री आर. डी. सैनी की कविता शुद्ध भारतीय संस्कार की कविता है, उसमें अपने परिवेक्ष का रंग बहुत गहरा है। आज के काब्य में यह बात वुलंभ होती जा रही है। उनकी कविता को ‘कथा- कविता कहा जा सकता है, जो निश्चित ही एक मोलिक प्रयोग है। कथा में कविता और कविता में बहती कथा का अभिनव प्रयोग, कविता को जन-सामान्य तक सम्प्रेषित करने में सफल रहा है– प्रस्तुत संकलन की रचनाएं “कविता- पोस्टर’ प्रदनियों के माध्यम से भारत में चर्चा का विषय रही हैं। यह चर्चा यहाँ तक बढ़ी कि श्री आर. डी. सैनी को अब “कविता-पोस्टर’ के कवि के रूप में जाना जाता है।